सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम (कामुकता का जलना)

आज इक्कीसवीं सदी में, लगभग सभी डॉक्टर और सेक्सोलॉजिस्ट यह मानते हैं कि हस्तमैथुन एक प्राकृतिक हानिरहित गतिविधि है. SIECUS (सेक्स सूचना और संयुक्त राज्य अमेरिका की शिक्षा परिषद) जैसे संगठन इस विचार का समर्थन करते हैं कि हस्तमैथुन करना प्रकृति की देन है और हद से अधिक करना असंभव है. माता-पिता से कहा जाता है कि वे अपने तरुण अवस्था के बच्चों की हस्तमैथुन करने की प्रवृत्ति को स्वीकार करें. हस्तमैथुन और संभोग करना यौन-संतुष्टि के सुखद अनुभव तो हैं लेकिन ऐसा करते समय इसे कितनी बार करे और किस तरीके से करना है के बारे में गहराई से विचार होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना हैं.

अतः बहुत अनुसन्धान करने के बाद, मैंने अप्रैल 2007 में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ सेक्सोलॉजी (WAS) के सम्मेलन के वैज्ञानिक प्रेजेंटेशन में पेश किया था कि क्या कुछ चुनिंदा व्यक्तियों में किन्हीं विशेष परिस्थितियों में अत्याधिक हस्तमैथुन या सम्भोग (सेक्स) करनेसे कोई समस्या निर्माण करनेका कारण बन सकता है? इस पेपर में मैंने यौन रोग समूह के भीतर (वैद्यिक निदान कोष) में ‘सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम’ (SBS) का नामकरण किया है.

‘BURNOUT’ (जल जाना) यह शब्द प्रस्तावित किया क्योंकि:

  • 'बर्नआउट' अंग्रेजी शब्द काफी लोकप्रिय और प्रचलित शब्द है.
  • वर्णनात्मक शब्द होने के कारण आसानी से समझ में आता है.
  • व्यवहारिक प्रक्रिया के एक संभावित समापन बिंदु को दर्शित करता है.
  • उक्त समस्या तब तक सामने नहीं आती जब तक ख़ुशी या आनंद में कोई बाधा नहीं आती, और न ही तब तक मानसिक रूप से उसके कोई संकेत दिखाई देते हैं. जबकि – व्यसन, आदत, सनक, मजबूरी, उन्माद आदि एक अन्य स्थिति का वर्णन करते हैं और जो कि सामाजिक कलंक दर्श करने वाले शब्द भी हैं इस कारण इधर यह शब्द उचित नहीं है.

बर्नआउट को समझना

बर्नआउट एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति की मानसिक ऊर्जा को समाप्त कर देती है और उसका स्वयं से तथा दूसरों के बीच का संपर्क खो देती है. बर्नआउट की शुरुआत धीमी होती है. शुरुआती लक्षणों में भावनात्मक और शारीरिक थकावट के लक्षण होते हैं, जिसमें अलगाव की भावना, सनक, अधीरता, नकारात्मकता दिखाई देती हैं. नित्यप्रति के कार्य करते समय अचानकसे नाराज़ हो जाना तथा नजदीकी लोगों से छोटी छोटी बातों पर चिढ़ना शुरू हो जाता है. कुछ गम्भीर मामलों में, ऐसा व्यक्ति जो किसी समय हर गतिविधि में बहुत गहराई से ध्यान रखता था, उसको वह अचानक अपने जीवन से इस तरह से काट देता है कि जैसे कि उसे उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं है.

बर्नआउट की विडंबना यह है कि ऐसा उस व्यक्ति के साथ ही होता है, जो इससे पहले, स्पर्धा तथा नए विचारों सहित एक अति उत्साही और तेजतर्रार व्यक्ति हुआ करता था.

जीवन में कभी न कभी आप में से बहुत से लोगों ने, अल्पकालिक बर्नआउट का अवश्य अनुभव किया होगा जिसमें कि एक लम्बी अवधि तक किसी कठिन मानसिक कार्य करते रहने के बाद, अचानक सरल से सरल कार्य का करना मुश्किल हो जाने का अनुभव किया होगा, जिसमें एकाग्रता लड़खड़ाने लगती है और थकावट महसूस होती हैं तथा एकाग्रता बनाये रखने में दिक्कत होती है.

अगर किसी व्यक्ती ने ज्यादा पसंदी का कारण बताते हुए सुबह दोपहर और शाम पिज़्ज़ा या बिर्यानी खाना शुरू रखा to कुछ दिन, हप्ते या ज्यादासे ज्यादा कुछ महीनों के बाद उसकी पसंदी उलट जाने की संभावना बढ़ जाती हैं तथा उन चीजों के प्रती नफरत निर्माण भी हो सकती हैं! यह खानेका ‘बर्नआउट’ हैं.

बर्नआउट के संकेत क्या हैं ?

हमेशा की खुशी या आनंद देने वाली बातें जब 'मजेदार' नहीं लगती, तो खतरे का यह पहला संकेत है. बर्नआउट एक भावनात्मक अथवा शारीरिक थकान का दुष्परिणाम होता है. ऊर्जा की हानि, प्रेरणा की कमी, या टॉनिक की आवश्यकता, से यह संकेत मिलता है कि आगे खतरा है. बर्नआउट के लक्षण तमाम प्रकार के होते हैं. उपरोक्त संकेतकों के अलावा, कुछ व्यक्ति नाराज हो जाते हैं, कुछ दूसरों को दोष देकर सहारा लेते हैं, कुछ शांत, अंतर्मुखी या उदास हो जाते हैं. कुछ लोग शराब, तम्बाकू या नशीली चीजों का सेवन करने लगते हैं, या फिर किसी मनोचिकित्सक द्वारा उदासी, खिन्नता या निराशा को कम करने वाली दवाईयां लेने के बारे में सोचते हैं. कुछ लोगों को कई अन्य शारीरिक लक्षण के अनुभव होते हैं, जिनमें ब्लड प्रेशर, डायबेटीस जैसी बीमारियाँ भी होती हैं.

हम आगे दो रोगियों के संक्षिप्त इतिहास दे रहे हैं.... कृपया गौर से पढ़ें

यह दो पुरुषों के मामले हैं जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में प्राक्रतिक सीमाओं का पालन किये बिना अधिक मात्रा में हस्तमैथुन या यौन संबंध शुरू किया.

२५ -३० की उम्र में ही, उनमें कामेच्छा की कमी, नपुंसकता और आनंद-रहित चरमसुख के साथ साथ शारीरिक थकावट, मानसिक थकान, भावनात्मक अलगाव जैसे लक्षण दिखाई दिए ...यानी सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम के शिकार हुए.

मामला १

मिस्टर एक्स एक २६ साल का आदमी * हाल ही में डिग्री प्राप्त की और नई नौकरी की तलाश * शादी करने के लिए पारिवारवालों का दबाव * शादी करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वह सेक्स नहीं करना चाहती है * नपुंसक (ED इरेक्टाइल डिसफंक्शन) होने का एहसास * जिन्दगी में पहली बार हस्तमैथुन ८ साल का होने के बाद किया * शुरुआत में वीर्य गिरे बिना आनन्द / चरमसुख का अनुभव लेता था * १४ साल की उम्र से दिन में ३-१० बार तक हस्तमैथुन करना शुरू किया * पढाई के दौरान मन की शान्ति और नींद आने के लिए हस्तमैथुन करने की आदत * २३ साल का होने के बाद हस्तमैथुन करने की इच्छा कम हो गई * फिर २६ वर्ष की उम्र में, सुबह के समय लिंग में उत्थान लगभग न के बराबर होने लगा, यदि वह हस्तमैथुन करने का प्रयास करता भी है, तो लिंग पूरी तरह से खड़ा नहीं होता और वीर्य का स्खलन कम और आनंद रहित होने लगा * इससे वह उदास और तनावग्रस्त रहने लगा * उसके बाद हस्तमैथुन और सेक्स के प्रति उदासीनता और निराशा * भावनात्मक और शारीरिक थकावट * अविश्वास, निराशावाद, और शून्यपूर्ण भावनाएँ * थका-थका हुआ सा रहना * शादी करूँ या नहीं, इसीमें भी भ्रमित

मामला २

२७ वर्षीय मिस्टर वाई अपनी होने वाली पत्नी के साथ चिकित्सा के लिए आया * कामेच्छा में कमी व सेक्स पॉवर या शक्ति के बारे में चिंतित * यह बताया कि 8 साल की उम्र में पहली बार हस्तमैथुन किया * शुरुआत में वीर्य गिरे बिना आनंद / चरमसुख के दिन में कई बार अनुभव * ११ साल की उम्र में २८ साल की महिला के साथ पहला यौन अनुभव * १६ साल का होने पर एक और 18 वर्षीय लड़की के साथ यौन संबंध * कुछ महीने बाद एक और १९ साल की लडकी के साथ सेक्स शुरू * तीनो से 'लगभग दैनिक मिलन' जारी रखा * कम उम्र होने के नाते, वह अपनी प्रेमिकाओं को 'चरमसुख देकर संतुष्ट करने में सक्षम रहा * हर मिलन में कई बार वीर्य स्खलन होने से सेक्स अद्भुत और आनंददायक था * फिर अचानक एक २३ साल की लड़की से सचमुच का प्यार * कुछ ही महीनों के भीतर उसके साथ यौन रूप से सक्रिय * दूसरी महिलाओं से भी मिलना कम * अब पिछले ३ महीने से सेक्स में दिलचस्पी कम, लिंग में कमजोरी का अनुभव * और अब भावनात्मक जुड़ाव के बिना संभोग * संभोग में आनन्द या चरमसुख का आभाव * अन्य महिलाओं के साथ सेक्स करना बंद * व्यक्तित्व में इस तरह का बदलाव तथा सेक्स में रुचि खत्म *

इन दोनों व अन्य बहुत से मामलों का अध्ययन करने के बाद मेरा ऐसा मानना है की

यदि सभी डॉक्टर यह बात स्वीकार करते हैं कि दिन में कई बार ज्यादा खाना खाने से मोटापा हो सकता है, तो उन्हें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि बहुत कम उम्र से ही प्राकृतिक सीमा से अधिक हस्तमैथुन करना या यौन संबंध रखना भी ‘सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम’ होने का एक कारण हो सकता है. और जिस प्रकार से बहुत अधिक शराब पीने से कुछ ही लोगों में लिवर सिरोसिस होता हैं तथा जिस प्रकार से फेफड़ों का कैंसर गिने चुने सिगरेट पीने वालों को ही होता हैं , ठीक उसी तरह से हर रोज बार-बार सेक्स या हस्तमैथुन द्वारा बहु- चरमसुख का अनुभव लेने वालों में ‘सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम’ जैसी समस्या सिर्फ कुछ अतिसंवेदनशील व्यक्तियों को ही परेशान कर सकती है ऐसा मेरा विश्वास हैं.

निष्कर्ष:-

सेक्सुअल बर्नआउट सिंड्रोम संभवत: उन अति संवेदनशील युवा पुरुषों पर आक्रमण करता है जो कम उम्र में ही लंबी अवधि के लिए, प्राक्रतिक के नियमों से अधिक यौन क्रिया (हस्तमैथुन या सेक्स) करते हुए लगभग रोजाना कई बार आनन्द या चरमसुख का भोग लेते हैं और फिर उनको निम्नलिखित का अनुभव होता है.

  • कामेच्छा में कमी
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग की कमजोरी यानि उत्थान का न होना या कम होना)
  • कामोन्माद में कमी
  • शारीरिक और भावनात्मक थकावट
  • व्यक्तिगत उपलब्धि में कमी की भावना

REFERENCES

  • BURN-OUT: THE HIGH COST OF HIGH ACHIEVEMENT—by Herbert J. Freudenberger, Ph.D., with Geraldine Richelson; Doubleday, Garden City, New York, 1980, 214 pages
  • MASLACH, C., & ZIMBARDO, P. G. (1982). Burnout: the cost of caring.Pines A & Aronson E. Career Burnout. New York: Free Press, 1988.
  • http://www.mayoclinic.com/health/compulsive-sexual-behavior/DS00144/DSECTION=5, http://www2.hu-berlin.de/sexology/ATLAS_EN/index.html
  • Black DW, Kehrberg LL, Flumerfelt DL, Schlosser SS. Characteristics of 36 subjects reporting compulsive sexual behavior. Am J Psychiatry. 1997;154(2):243‐249. doi:10.1176/ajp.154.2.243
  • Endorphins, opiates and behavioral processes, Rogers R & Cooper S. (Eds.) John Wiley & Sons, New York, 1988.
  • Sathe RS, Komisaruk BR, Ladas AK, Godbole SV. Naltrexone-induced augmentation of sexual response in men. Arch Med Res. 2001;32(3):221‐226. doi:10.1016/s0188-4409(01)00279-x
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